साल के 270 दिन बर्फ जमी रहती है दो महीने नहीं दिखता सूरज
रूस के साइबेरिया में एक शहर है नॉरिल्स्क इसे दुनिया का सबसे ठंडा शहर कहा जाता है। डेलीमेल के मुताबिक यहां के रहने वालों को साल के आखिरी आैर पहले दो महीने यानि दिसंबर-जनवरी में सूरज का नजारा नहीं होता। इस अवधि में कर्इ लोग डिप्रेशन जैसी बीमारियों के शिकार भी हो जाते हैं जिसे पोलर नाइट सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यहां पर 365 में से 270 दिन बर्फ जमी रहती है आैर कड़काती ठंड के साथ तापमान माइनस 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वैसे सामान्य दिनों में भी इस शहर का आैसत तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहता है। नॉरिल्स्क की आबादी करीब 1 लाख 75 हजार है।
कुछ चुनौतियों के बावजूद है नंबर वन
हांलाकि कुछ लोगों का दावा है कि साइबेरिया में ही स्थित याकुत्स शहर ज्यादा ठंडा है, पर इस स्थान पर ठंड के दिनों में तापमान माइनस 41 डिग्री सेल्सियस तक ही रिकाॅर्ड किया गया है आैर गर्मियों में भी नॉरिल्स्क की तुलना में यहां का तापमान ज्यादा दर्ज किया गया है। कुछ शोधकर्ताआें के अनुसार नॉरिल्स्क में ना सिर्फ 270 दिन में बर्फ जमी रहती है बल्कि हर तीसरे दिन यहां लोगों को बर्फीले तूफान का सामना भी करना पड़ता है। ये शहर राजधानी मॉस्को से लगभग 2900 किमी दूर स्थित है। ये स्थान बाकी देश से इस कदर कटा हुआ है कि आने के लिए सड़क भी नहीं है, केवल विमान या नाव से ही यहां पहुंचा जा सकता है। यही वजह है यहां के रहने वाले लोग अपने ही देश के बाकी क्षेत्र को मेनलैंड कहकर बुलाते हैं।
वैसे है समृद्घ
हांलाकि नॉरिल्स्क काफी हद तक रूस आैर शेष विश्व से कटा हुआ है लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि ये विकास आैर समृद्घि से भी अलग थनग पड़ गया है। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन, कैफे, चर्च, बार, आर्ट गैलरी और थिएटर सहित वर्तमान समय की सारी सुख सुविधायें उपलब्ध हैं आैर यहां के स्थानीय निवासी अच्छा जीवन स्तर रखते हैं। वास्तव में नॉरिल्स्क दुनिया का सबसे बड़ा निकल, प्लेटिनम और पैलेडियम उत्पादक है, जिसके चलते वह रूस का सबसे अमीर शहर बन गया है। यहां मौजूद इन सामग्रियों का भंडार इतना है कि उसकी सप्लार्इ से ये शहर पूरे रूस की जीडीपी में 2% का भागीदार बन गया है। इन खनिजों को निकालने और साफ करने वाली एकमात्र कंपनी नॉरिल्स्क निकल है। नगर के अधिकांश लोग यहीं काम करते हैं या किसी ना किसी रूप में इससे जुड़े हैं।
प्रदूषण बना समस्या
हालांकि आर्थिक रूप से इस कंपनी के चलते नॉरिल्स्क को फायदा हुआ है मगर बड़े पैमाने पर माइनिंग, रिफाइनिंग के चलते ये दुनिया का सबसे प्रदूषित शहरों भी बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यहां हवा में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा इतनी बढ़ गर्इ है कि करीब 30 किमी के आसपास की वनस्पति खत्म हो गई है। लोगों को कहा गया है कि अत्याधिक विषाक्तता के चलते बेरी या मशरूम का प्रयोग ना करें। इतना ही नहीं अति खनन के चलते दाल्दीकन नदी का पानी लाल हो गया है।